क्रिप्टो करेंसी क्या है ये दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका नाम है क्रिप्टो और करेंसी यदि आप क्रिप्टो का मतलब हिंदी में सर्च करेंगे तो इसका मतलब होता है, छुपा हुआ या फिर गोपनीय ऐसी चीज़ जो छुपी हुई हो, गोपनीय हों, जिसके बारे में कोई भी पता नहीं लगा सकता हो उसे कहते हैं क्रिप्टो करंसी। थोड़े दिन पहले ही वॉट्सऐप का भी एक बहुत बड़ा मैटर हुआ था जहाँ पर कुछ लोग कह रहे थे कि वॉट्सऐप के मैसेज कम्पनीज़ पढ़ या देख सकती है, गवर्नमेंट को पता चल जाएंगे। लेकिन वॉट्सऐप ने कहा था कि हमारे मैसेजेस इनक्रिप्टेड होते हैं इनक्रिप्टेड का मतलब क्या होता है छुपा हुआ या गोपनीय जैसे कोई भी नहीं देख सकता सिर्फ एक देने वाला और एक रिसीव करने वाला ये दो व्यक्ति ही उस मैसेज को देख सकते हैं ऐसे ही क्रिप्टो करेंसी भी होती है, जो सिर्फ देने वाला और जिसे प्राप्त हुई है सिर्फ वही व्यक्ति इसे देख पाएगा और कोई नहीं देख पाएगा।
आज कल बहुत सारे लोगों के मुँह से आप क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन, ट्रिम या ऐसी बहुत सारी चीजों का नाम सुन रहे होंगे और आप सुन रहे होंगे कि लोग रातों-रात बहुत ज्यादा अमीर बन रहे हैं। बहुत ज्यादा पैसा कमा रहे हैं। आज हम बहुत ही आसान सी भाषा में समझने वाले है कि बिटकॉइन क्या है, ये क्रिप्टो करंसी क्या है। इसमें आपको पैसे लगाना चाहिए या नहीं लगाना चाहिए आपको पता होना चाहिए की लीगल है, या फिर नहीं है। कैसे पैसे लगाया जाता है। कैसे-पैसे लोग कमा रहे हैं या आप कमा सकते हैं या फिर नहीं आज हम इन सारी बातों का जवाब बहुत ही आसान सी भाषा में समझने की कोशीश करेंगे। इन सबको समझने के लिए सबसे पहले आपको समझना पड़ेगा कि क्रिप्टोकरेंसी क्या है।
मान लीजिए कि इस पूरी दुनिया के अंदर 200 देश है अब 200 देश की अपनी-अपनी एक एक करेंसी हो गयी तो इसका मतलब पूरी दुनिया में 200 करेंसी हो गयी। क्रिप्टोकरेंसी भी ऐसी ही एक करेंसी है जिसे कहते हैं डिजिटल करेंसी। आप जैसे पूरी दुनिया के अलग-अलग पैसों को हम करेंसी कहते हैं जैसे हम इंडिया में रहते हैं तो हम इंडिया की करेंसी को कहते हैं INR या फिर रुपया। यूएसए में वहाँ के पैसों को हम डॉलर कहते हैं। यूरोप में वहाँ के पैसों को यूरो कहते हैं। अब ऐसे ही क्रिप्टोकरेंसी भी एक यूनिवर्सल डिजिटल करेंसी है। जिसके अंदर बहुत सारी करेंसी जाती है। जैसे थोरियम, रिपल, लाइटकॉइन ट्रैक्टर और लिब्रा ऐसी बहुत सारी करेंसीज है, उसे आगे समझते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी की शुरूआत कैसे हुई How did Cryptocurrency get started
अब आपके मन में एक प्रश्न आएगा कि इस क्रिप्टोकरेंसी को बनाने की जरूरत क्या पड़ी। तो हम चलते हैं 2008 में जहाँ पर अमेरिका के अंदर एक बहुत बड़ा फाइनैंशल क्राइसिस आया था और उसका असर पूरी की पूरी दुनिया पर पड़ा था। 2008 में शेयर मार्केट के अंदर इतना बड़ा क्राइसिस आया था कि लोगों को बहुत सारा पैसा देखते ही देखते डूब गया। अब उस समय किसी व्यक्ति ने सोचा होगा की ये तो बहुत ही गलत हुआ। लोगों के पैसों का कंट्रोल उनके हाथों में है ही नहीं। यदि कंपनी डूब रहे हो तो उनके पैसे डूब रहे हैं। मतलब उनके पैसों का कंट्रोल खुद के ही हाथों में नहीं है। लोगों ने इतनी मेहनत से पैसे कमाए लेकिन खुद के ही हाथों में उनका कंट्रोल ही नहीं है, तो उसने सोचा कि मैं एक ऐसी मशीन बनाऊंगा एक ऐसा पैसा तैयार करूँगा जिसका कंट्रोल उन्हीं के हाथों में हो और वहीं से जन्म हुआ क्रिप्टोकरेंसी का।
अब आपके मन में एक और प्रश्न आएगा की क्रिप्टोकरेंसी बनाई थी। बताया जाता है कि क्रिप्टोकरेंसी सातोशी नाकोमोतो नाम के एक व्यक्ति द्वारा बनाया गया। लेकिन बाद में हुआ ये कि उस व्यक्ति का पता ही नहीं चला कि यह व्यक्ति कौन है, कहाँ रहता है या फिर अभी ये जिंदा भी है या फिर नहीं। उसने क्रिप्टो करेंसी बनाई और उसके बाद वो गायब हो गया।
अब यह समझते कि व्यक्ति इसमें पैसे कैसे लगा रहा है, पैसे कैसे कमा रहा है और कैसे वह कैसे अमीर बन रहा है। इसके लिए सबसे पहले आपको समझना होगा कि 2009 में जब पहली क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन बनाई गई थी तब उसका मूल्य ज़ीरो था। उस समय यह किसी को भी नहीं पता था कि क्रिप्टोकरेंसी क्या होती है। इसे खरीदना भी होता है या कैसे खरीदते हैं, किसी को कुछ नहीं पता था। इसलिए इसका प्राइस ज़ीरो था। धीरे धीरे लोगों को इसके बारे में पता चला और लोग इसे धीरे-धीरे करके खरीदने लगे 2010 में भारतीय मूल के हिसाब से एक बिटक्वाइन का प्राइस ₹2.85 के करीब हो गया था लेकिन आज आप सभी को सुनकर बहुत ज्यादा आश्चर्य होगा कि उस ₹2.85 के एक बिटक्वाइन की कीमत आज ₹33 लाख से भी ज्यादा हो चुकी है और इसी बिटक्वाइन का हाई प्राइस अभी तक का रह चुका है ₹43 लाख, जी हाँ उसी ₹2.85 के एक बिटक्वाइन की कीमत गया था ₹43 लाख से भी ज्यादा।
अब इस बात को लॉजिकल ही समझिएगा कि कोई व्यक्ति पैसे कमाता कैसे है। यदि उस टाइम 2010 में किसी व्यक्ति ने ₹2.85 का एक बिटक्वाइन खरीद के रख लिया होगा और उसने बेचा नहीं होगा उसके पास वो बिटक्वाइन रखा रहा होगा। तो आज उसकी कीमत हो चुकी है ₹33 लाख जो की वो वह कैश करवा सकता है।
क्रिप्टो करेंसी का मूल्य कैसे बढ़ता है?
इस बात को हम समझेंगे कि क्रिप्टो करेंसी की कीमत कैसे बढ़ती है, उसे समझिए। ये पूरा का पूरा खेल चल रहा है डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले से, जैसे-जैसे डिमांड बढ़ती है, वैसे-वैसे उसका प्राइस बढ़ता जाता है। डिमांड कम होती है, प्राइस कम हो जाता है। जिस व्यक्ति ने बिटक्वाइन बनाया था। उसने इस पूरी दुनिया के लिए 21 मिलियन बिटक्वाइन ही तैयार की है और उसके बाद ना तो इसे एक ज्यादा बनाया, और ना ही इसे एक कम बनाया। अब इस 21 मिलियन में से 18.5 मिलियन के लगभग बिटकॉइन मार्केट में आ चुके हैं और बाकी बिटक्वाइन अभी आना बाकी है।
अब इस बात को समझ लीजिये की इसका प्राइस बड़ा कैसे है। बहुत सारी बड़ी-बड़ी कंपनी ने इसमें पैसा इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया और बहुत बड़ी-बड़ी कंपनी के मालिक ने ये कहना शुरू कर दिया कि बिटक्वाइन या फिर क्रिप्टोकरेंसी इस दुनिया का भविष्य है। जैसे ऐलन मस्क को आप सभी जानते हैं उन्होंने अपना बहुत सारा पैसा क्रिप्टो करेंसी में लगाया। आप लोगों ने देखा कि ऐलन मस्क क्रिप्टो करेंसी में पैसा लगा रहा है, तो लोग भी पैसा लगाने लगे। अब जैसे जैसे डिमांड बढ़ती गई सप्लाई कम थी तो इसका प्राइस अपने आप बढ़ने लगा। लेकिन थोड़े दिन पहले ही इलोन मस्क नहीं है बिल्कुल क्लियर कर दिया कि लीगल टेंडर के रूप में क्रिप्टोकरेंसी को वो बिल्कुल स्वीकार नहीं करेंगे और ये सुनते ही मार्केट में हड़कंप मच गया सभी लोग अपनी-अपनी क्रिप्टोकरेंसी बेचने लगे और इससे इसका भाव बिल्कुल ही कम होता गया जहाँ पर एक क्रिप्टोकरेंसी 43 लाख की हो गई थी वहीं आज एक क्रिप्टो करेंसी का भाव 33 लाख हो चुका है। मतलब जिस व्यक्ति ने 43 लाख में एक क्रिप्टोकरेंसी खरीदा होगा उसे सीधा सीधा 10 लाख का नुकसान हो गया।
अब प्रश्न यह उठता है की भारत के अंदर यह करेंसी लीगल है या फिर नहीं है। तो इसका जवाब है बिलकुल है लेकिन सिर्फ और सिर्फ ट्रेनिंग के लिए। 6 अप्रैल 2018 को पहले तो आरबीआइ ने क्रिप्टो करेंसी की ट्रेनिंग पर बैन लगा दिया था लेकिन बाद में ही 2020 में इस बैन को हटा लिया और कहा कि आप क्रिप्टो करेंसी में ट्रेनिंग जरूर कर सकते हैं लेकिन क्रिप्टो करेंसी एक लीगल टेंडर बिल्कुल भी नहीं है।
अब ये लीगल टेंडर क्या होता है इसे समझिए लीगल टेंडर का मतलब होता है कि आरबीआई ने हम सभी के लिए पैसे जारी किए हैं हम उन पैसों को ले जाकर कहीं भी कुछ भी सामान खरीद सकते हैं लेकिन यदि आप क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कही जाते है जो कि डिजिटल फॉर्म में होती है तो आप उससे कुछ भी खरीद नहीं सकते वैसे ही जैसे यदि आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं और उन शेयर को लेकर कही पर जाते हैं आप उसे शेयर ले लीजिए और मुझे ये कार दे दीजिए। तो कार वाला आपको बिल्कुल नहीं देगा वो कहेगा कि आपको मुझे पैसे ही देना पड़ेगा जो कि लीगल टेंडर होता है और जिससे आप कोई भी चीज़ खरीद सकते हैं अब यहाँ तक आपको बहुत सारे प्रश्न का उत्तर मिल चुका है।
क्रिप्टोकरेंसी के फायदे
अब जानिए इसके फायदे क्या क्या है और इसके नुकसान क्या-क्या है।
यदि आपको क्रिप्टो करेंसी में ट्रांजैक्शन करना है तो इसमें कोई भी मीडिएटर नहीं होता है आप ए-व्यक्ति से बी-व्यक्ति को भेजना चाहते है तो सीधा ए-व्यक्ति, बी-व्यक्ति को सीधा क्रिप्टोकरेंसी भेज सकता है। कोई भी बीच वाला व्यक्ति नहीं होगा। जैसे मान लीजिए की आज आप भारत में रहते हैं, आपका कोई पैसा बाहर से आया भारत में तो सबसे पहले आपकी बैंक में आएगा। बैंक आपसे वेरीफाई करेगा बहुत प्रकार के प्रश्न पूछेगा कि ये पैसा क्यों आया है, किसने दिया है, किस काम के लिए आया है और उसके बाद वो पैसा आप तक पहुँच पाएगा। लेकिन क्रिप्टोकरंसी में ऐसा बिलकुल भी नहीं है। ए-व्यक्ति से बी-व्यक्ति तक जाना बहुत ही आसान है
क्रिप्टो करेंसी ग्लोबल मनी है। आप किसी भी देश से किसी भी दूसरे देश में इसे बिना किसी की इजाजत लिए भेज सकते हैं।
क्रिप्टो करेंसी में ट्रांजैक्शन फीस बहुत ही कम होती है। जबकि यदि डॉलर से इंडियन रूपये में या इंडियन रूपये से डॉलर में आपको पैसे कन्वर्ट करवाना है, तो उसके लिए आपको एक राशि का भुगतान करना होता है जो की क्रिप्टो करेंसी में नहीं करना होता है।
क्रिप्टो करेंसी का ट्रांजैक्शन भी बहुत ही स्मूथ और बहुत ही जल्दी होता है यदि अभी आप यहाँ से किसी भी दूसरे देश में किसी व्यक्ति को क्रिप्टोकरेंसी भेजना चाहते हैं तो बहुत ही आसानी से और बहुत ही जल्दी भेज सकते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी के नुकसान
यदि आपने गलती से एक नंबर आगे-पीछे कर दिया या कोई गलत ट्रांजेक्शन हो गया तो आप इसका पता कभी भी नहीं लगा पाएंगे कि आपका पैसा कहा गया है। जबकि बैंक में ऐसा होता है कि यदि आपके हाथों कोई गलत ट्रांजैक्शन हो जाता है। तो आपको पता होता है कि किस व्यक्ति के पास आपका पैसा पहुंच गया है। आप उस से रिक्वेस्ट कर सकते हैं या बैंक से रिक्वेस्ट कर सकते हैं की वो पैसा आप तक वापस पहुँच जाए।
क्रिप्टो करेंसी में यह पता ही नहीं चल चतला कि यह क्रिप्टोकरेंसी कहां जा रही है। इससे इल्लीगल ऐक्टिविटी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। बहुत सारे आतंकवादी इस पैसे का इस्तेमाल बहुत ही गलत कामों में उपयोग कर रहे हैं।
तीसरा सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसका वैल्यू कब ऊपर जा रहा है कब नीचे जा रहा है इसका आपको कुछ भी पता नहीं होगा कब ये बहुत ज्यादा महंगी हो जाए और कब ये जीरो पे आ जाए इसका कोई अंदाजा नहीं है।
क्रिप्टोकरेंसी में ब्लॉकचेन क्या होता है?
सबसे पहले ब्लॉकचैन को समझिये की ब्लॉकचेन होता क्या है अभी आपने थोड़ी देर पहले ही समझा की दो ट्रांजेक्शन के बीच में कोई भी मिडिलमेन नहीं होता है। तो फिर ये ट्रांजैक्शन होते कैसे है ये होते है ब्लॉकचेन के द्वारा। ब्लॉकचैन एक ऐसा ब्लॉक होता है जिसमे आप जो भी ट्रांजेक्शन कर रहे हैं उसकी पूरी की पूरी इन्फॉर्मेशन सेफ रखी जाती है। जैसे ही पहला ब्लॉग भर जाता है उसमें पूरी जानकारी चली जाती है। उसकी एक चेन बन जाती है और वहीं से दूसरे ब्लॉक की शुरुआत हो जाती है। जब दूसरा ब्लॉग भर जाता है तो फिर चेन बन जाती है और तीसरा ब्लॉग बन जाता है और इसी प्रकार से एक ब्लॉक चेन बन रही है। जहाँ पर आपकी सारी की सारी जानकारी सुरक्षित है।
क्रिप्टोकरेंसी में माइनिंग क्या होता है?
एक व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति को जब पैसा भेज रहा है तो वो फिजिकल फॉर्म में नहीं होता है। जो पैसा है वो डिजिटल है, मतलब वो कोडिंग के रूप में है और उसको कोडिंग को कोई नहीं पढ़ सकता है। तो फिर वो पैसा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक जाएगा।
माइनिंग बीच में माइनर बैठे होते हैं जो उस कोडिंग की माइनिंग करते है। मतलब उस कोड को डिकोड करते हैं उस व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए, जिससे वह पैसा सेंड किया गया है, तो इसके लिए बहुत सारे लोग आजकल माइनिंग का भी काम कर रहे हैं।
माइनिंग का काम मतलब अपने घरों में बहुत बड़े-बड़े कंप्यूटर लगाते हैं। क्योंकि नोरमल कंप्यूटर से माइनिंग नहीं हो सकती है। क्योंकि बहुत सारा डाटा यहाँ पर रिसीव होता है, ट्रांसफर होता है। इसलिए बहुत बड़े-बड़े कंप्यूटर लगते हैं और इनके इस्तेमाल से वो इसे डीकोड करते हैं और जिस व्यक्ति का पैसा है। उस व्यक्ति तक पहुंचाते हैं। इसके बदले में उन्हें मिलता है थोड़ा सा क्रिप्टोकरेंसी मिलता है।
अब इस बात को समझेंगे की क्रिप्टोकरंसी को कोई भी व्यक्ति बना सकता है। अभी इस मार्केट में 6000 से भी ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी अवेलेबल है लेकिन 2000 से ज्यादा डैड हो चुकी हैं। उनका कोई भी इस्तेमाल नहीं हो रहा है। मतलब कोई उन्हें खरीद ही नहीं रहा है।
लेकिन जो फेमस क्रिप्टोकरेंसी है वो सिर्फ 5 से 6 है, जिसने पूरी क्रिप्टो करेंसी का लगभग 80% हिस्सा घेर कर रखा है। अब यहाँ पर इस बात को भी समझें कि आपको पूरी की पूरी क्रिप्टोकरंसी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है। मान लीजिए एक बिटक्वाइन का प्राइस ₹33 लाख हैं तो आपको पूरा का पूरा रुपए नहीं खरीदना है। आप उसका एक छोटा सा टुकड़ा भी खरीद सकते हैं आप चाहें ₹100 में खरीदिए, ₹200 में खरीदिए और उसे बेच भी सकते है।
क्रिप्टोकरेंसी कब खरीदना चाहिए?
आप समझिये की आप को इसे खरीदना चाहिए या नहीं खरीदना चाहिए, कब खरीदना चाहिए या फिर इससे आपको फायदा होगा या बहुत ज्यादा नुकसान होगा। क्रिप्टो करेंसी, शेयर मार्केट की तरह बिल्कुल भी नहीं है ये बहुत ही अलग चीज़ है। ये पूरा का पूरा लीगली जुआ है।
आप इसमें सट्टा लगाते हैं, आप सिर्फ उम्मीद लगाते हैं कि इसका प्राइस बढ़ेगा इसका प्राइस गिरेगा और सिर्फ उम्मीद के सहारे आप अपने पैसे लगाते जाते हैं और अब आपको फायदा होगा या नुकसान होगा यह सिर्फ समय आपको बताएगा।
जिन लोगों को बहुत ज्यादा महान मानते हैं बहुत ज्यादा सफल मानते हैं तो उन लोगों के बीच में भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दो राय है वॉरेन बफे कहते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी पूरा-पूरा एक जुआ है, सट्टा है और आप इसमें अपना पैसा बिल्कुल गंवाएंगे।
इसके विपरीत इलॉन मस्क कहते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी भविष्य की करेंसी होने वाली है। अब ये तो वक्त बताएगा कि क्रिप्टोकरेंसी का क्या होगा लेकिन अभी के लिए मेरी आप सभी को यही सलाह है कि आप इसमें अपना इन्वेस्टमेंट बहुत ही सोच समझकर कीजिएगा आप थोड़ा सा पैसा इसमें जरूर लगा सकते हैं लेकिन बहुत ज्यादा पैसा बहुत ज्यादा रिस्क बिल्कुल मत लीजिएगा।