SHO कैसे बने ?

SHO कैसे बने– गांव और शहर मे पुलिस महकमा काफी एक्टिव रहता है जिससे की वो अपराधों को कम कर सके। आपके और आपके परिवार की रक्षा करने मे भी पुलिस का ही महत्वपूर्ण योगदान है जिससे आप रात्रि मे चैन की नींद सो सकते है। पुलिस विभाग मे कई अधिकारी होते है जो की अलग – अलग रैंक मे बटें होते है जैसे की हवलादार, एएसआई, एस.आई और भी इसके अलावा कई सारे है।

उनमे से एक है Station House Officer जिसे सामान्य भाषा मे SHO कहा जाता है। SHO कैसे बने ? SHO Kaise bane आज हम हमारे इस लेख मे इसी के बारे मे बता रहे है जिससे आप यहा आसानी से समझ सकते है। अतः इस लेख को अंत तक पढे़।

SHO क्या होता है ? What is SHO 

SHO पुलिस विभाग का एक अधिकारी होता है जिसे सामान्य भाषा मे इंसपेक्टर कहा जाता है। यह पोस्ट भारत सरकार / राज्य सरकार द्वारा मनोनीत होता है। यह पुलिस विभाग मे वो आला अधिकारी होता है जो पूरे थाने का एक मुख्या होता है और ASI से नीचे की रैंक का होता है।

सामान्य रूप से देखा जाये तो एक पुलिस स्टेशन के मुख्य अधिकारी को ही SHO कहा जाता है। भारतीय संविधान व कानून मे यह बात स्पष्ट है की किसी भी थाने मे यह अधिकारी जहा होगा उस थाने से संबंधित किसी भी केस की जांच यह अधिकारी ही करेगा या यू कहे तो गलत नही होगा की पूरे जांच का ज़िम्मा इसी अधिकारी के हाथ मे होता है। 

SHO का पूरा नाम – Full form of SHO

वैसे तो से संबंधित कई Full forms है परन्तु पुलिस विभाग मे इसका पूरा नाम Station House Officer है। 

SHO के कार्य – Works of SHO

SHO के कुछ मुख्य कार्य – 

  • SHO का पहला मुख्य कार्य यह होता है की वह गांव की सुरक्षा व शांति बनाये रखने का होता है। 
  • इस पोस्ट का दूसरा कार्य यह होता है की वह अपने स्टेशन का कार्य देख सकता है। 
  • अपने क्षेत्र के स्टेशन पर शांति से संबंधित कार्य करता है। 
  • एक SHO अपने क्षेत्र के अधीन हुए अपराधों की जांच करता है। 
  • एक SHO अपने क्षेत्र के अधीन साइबर अपराधों को रोकता है। 
  • एक SHO अपने क्षेत्र का राजपत्रित अधिकारी भी होता है जो Sub Inspector से उपर होता है। 
  • एक SHO अपने क्षेत्र की तरफ से न्यायालय मे पेश हो सकता है। 
  • एक SHO अपने पुलिस स्टेशन का In-Charge होता है। 

SHO की चयन प्रक्रिया – Selection process of SHO

SHO बनने की प्रक्रिया दो प्रकार से देखी जा सकता है जिसमे एक सीधी भर्ती ( जो की कई राज्यों मे नही होती है। ) और दूसरा विभागीय प्रोमोशन से, सीधी भर्ती मे चयन होने के लिए एग्जाम देने होते है जो की काफी कॉम्पिटिशन  होता है परन्तु विभागीय परीक्षा मे या प्रोमोशन मे कुछ काफी ज्यादा चांस रहते है चयन होने के। इस परीक्षा मे चयन प्रोसेस कुछ इस प्रकार है जिसे आप आसानी से समझ सकते है – 

  • सीधी भर्ती के माध्यम से चयन – जो प्रार्थी इस परीक्षा मे चयन होने कराने की सोच रहे है तो आपको बता दे की इस परीक्षा मे सीधी भर्ती से चयन भी हो सकता है जिसके लिए विभाग / आयोग द्वारा विज्ञप्ति निकाली जाती है और उसके बाद आवेदन मांगे जाते है, जैसे की आवेदन निकाले जाते है और उसके बाद परीक्षा होती है जो Objective Type की होती है। 
  • आवेदन – जो परीक्षार्थी इस परीक्षा मे आवेदन करना चाहते है उनको बता दे की राज्य सरकार के पुलिस विभाग द्वारा विज्ञप्ति निकाली जाती है जिसके बाद आवेदक इस परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते है। इस परीक्षा के फार्म भरते समय इस परीक्षा हेतु मांगे गये योग्यताओं को जरूरी रूप से पढ ले जो की नीचे बताई गई है। 
  • परीक्षा – आवेदन के लिए फार्म भरने के बाद कुछ समय के बाद या कुछ महीनों बाद विभाग द्वारा परीक्षा करवाई जाती है जो सामान्यतः Objective प्रकार की होती है जिसमे जो भी अभ्यार्थी परीक्षा देते है उसके बाद परिणाम जारी किया जाता है और पदों की संख्या व पोस्ट के हिसाब से क्वालीफाईट प्रार्थीयों को आगे के प्रवेश हेतु बुलाया जाता है। 
  • फिटनेश टेस्ट – आवेदक अगर परीक्षा पास कर लेता है तो उसके बाद उन सभी अभ्यार्थीयों को फिटनेस टेस्ट के लिए बुलाये जाते है जिसमे अभ्यार्थीयों के फिटनेस टेस्ट लिया जाता है। फिटनेस परीक्षा हेतु कुछ मापदंड पूर्व से ही निर्धारित होते है जिसको आसानी से समझा जा सकता है की प्रार्थी की कितनी उचाई होनी चाहिए, कितनी छाटी होनी चाहिए इत्यादि। 
  • डॉक्युमेंट्स  वेरिफिकेशन – जैसे ही अभियार्थी फिटनेस परीक्षा पास कर लेते है तो उनके बाद उनकी योग्यतानुसार उनके डॉक्युमेंट्स  की जांच की जाती है जिसमे यह देखा जाता है की क्या वास्तव मे परीक्षार्थी पूर्व मे मापदण्डों को पूरा करता है या नही। 
  • फाइनल सिलेक्शन – डॉक्युमेंट्स  वेरिफिकेशन के बाद पोस्ट के अनुसार अभियार्थियों की एक शॉर्ट  लिस्ट बनाई जाती है जिसके बाद उनका फाइनल चयन होता है। 
  • विभागीय भर्ती – पुलिस विभाग मे एक पद होता है सब-इंस्पेक्टर जिसमे कुछ सालों और अनुभवों के आधार पर उनको प्रोमोशन दिया जाता है। Sub Inspector के पद से SHO का Promotion होता है जिसमे उनको SHO का पद दिया जाता है। विभागीय भर्ती मे आंतरिक परीक्षा भी होती है जिसमे पुलिस महकमे के कई एम्पलाॅई हिस्सा लेते है जिसमे अधिकतम पद सब इंस्पेक्टर का होता है। इस परीक्षा मे पास करने के बाद उनके आवश्यक दस्तावेज़ों की जांच कर के उनको इस पोस्ट पर भेज दिया जाता है। 

SHO परीक्षा के लिए सिलेबस – Syllabus for SHO Examination

SHO की परीक्षा के लिए सिलेबस मे ज्यादा विस्तार नही है परन्तु इसमे कुछ मुख्य विषयों पर काफी जोर दिया जाता है जिसमे हिन्दी व अंग्रेंजी मुख्य रूप से शामिल है। 
हिन्दी विषय मे उन सभी टाॅपिक्स को टारगेट किया जाता है जिसमे शब्द लेखन की प्रक्रिया व शब्दों का ज्ञान शामिल है वही अंग्रेजी विषय मे भी भाषा लेखन व बोलचाल के शब्दों पर ध्यान दिया जाता है। यह परीक्षा Objective प्रकार की होती है जिसमे यह परीक्षा Offline होती है। 

SHO की सैलेरी – Salary of SHO 

सामान्यतः एक SHO की सैलेरी 44,900 – 1,42,400 के मध्य होती है। यह सैलेरी हर राज्य मे अलग – अलग हो सकती है। 

निष्कर्ष SHO कैसे बने ?

SHO पुलिस विभाग का एक अधिकारी होता है जिसे सामान्य भाषा मे इंसपेक्टर कहा जाता है। यह पोस्ट भारत सरकार / राज्य सरकार द्वारा मनोनीत होता है। यह पुलिस विभाग मे वो आला अधिकारी होता है जो पूरे थाने का एक मुख्या होता है।

ASI से नीचे की रैंक का होता है। वैसे तो SHO से संबंधित कई Full forms है। परन्तु पुलिस विभाग मे इसका पूरा नाम Station House Officer है। एक SHO की सैलेरी 44,900 – 1,42,400 के मध्य होती है। यह सैलेरी हर राज्य मे अलग – अलग हो सकती है। 

FAQ

प्रश्न 1 – SHO क्या होता है ?

उत्तर – एक पुलिस स्टेशन के मुख्य अधिकारी को ही SHO कहा जाता है। भारतीय संविधान व कानून मे यह बात स्पष्ट है की किसी भी थाने मे यह अधिकारी जहा होगा उस थाने से संबंधित किसी भी केस की जांच यह अधिकारी ही करेगा या यू कहे तो गलत नही होगा की पूरे जांच का ज़िम्मा इसी अधिकारी के हाथ मे होता है। SHO पुलिस विभाग का एक अधिकारी होता है जिसे सामान्य भाषा मे इंसपेक्टर कहा जाता है। यह पोस्ट भारत सरकार / राज्य सरकार द्वारा मनोनीत होता है।

प्रश्न 2 – SHO की चयन प्रक्रीया क्या होती है ?

उत्तर – SHO बनने की प्रक्रिया दो प्रकार से देखी जा सकता है जिसमे एक सीधी भर्ती ( जो की कई राज्यों मे नही होती है। ) और दूसरा विभागीय प्रोमोशन से, सीधी भर्ती मे चयन होने के लिए एग्जाम देने होते है जो की काफी कॉम्पिटिशन  होता है परन्तु विभागीय परीक्षा मे या प्रोमोशन मे कुछ काफी ज्यादा चांस रहते है चयन होने के।

प्रश्न 3 – SHO परीक्षा का सैलेबस क्या होता है ?

उत्तर – SHO की परीक्षा में हिन्दी विषय मे उन सभी टाॅपिक्स को टारगेट किया जाता है जिसमे शब्द लेखन की प्रक्रिया व शब्दों का ज्ञान शामिल है वही अंग्रेजी विषय मे भी भाषा लेखन व बोलचाल के शब्दों पर ध्यान दिया जाता है। यह परीक्षा Objective प्रकार की होती है जिसमे यह परीक्षा Offline होती है। 

प्रश्न 4 – SHO का फिटनेस टेस्ट किस प्रकार होता है ?

उत्तर – SHO की परीक्षा के लिए आवेदक अगर परीक्षा पास कर लेता है तो उसके बाद उन सभी अभ्यार्थीयों को फिटनेस टेस्ट के लिए बुलाये जाते है जिसमे अभ्यार्थीयों के फिटनेस टेस्ट लिया जाता है। फिटनेस परीक्षा हेतु कुछ मापदंड पूर्व से ही निर्धारित होते है जिसको आसानी से समझा जा सकता है की प्रार्थी की कितनी उचाई होनी चाहिए, कितनी छाटी होनी चाहिए इत्यादि। 

प्रश्न 5 – SHO की परीक्षा का पैटर्न क्या है ?

उत्तर – SHO की परीक्षा के लिए आवेदन के लिए फार्म भरने के बाद कुछ समय के बाद या कुछ महीनों बाद विभाग द्वारा परीक्षा करवाई जाती है जो सामान्यतः Objective प्रकार की होती है जिसमे जो भी अभ्यार्थी परीक्षा देते है उसके बाद परिणाम जारी किया जाता है और पदों की संख्या व पोस्ट के हिसाब से क्वालीफाईट प्रार्थीयों को आगे के प्रवेश हेतु बुलाया जाता है।

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