इस ब्लॉग में जानेंगे कि पीएफ क्या होता है, पीएफ नंबर कैसे पता करते हैं, पीएफ में कंट्रिब्यूशन कितना होता है और पीएफ के फायदे क्या क्या होते हैं और भी बहुत सारी जानकारी आपको पता चलेंगी।
पीएफ क्या होता है?
पीएफ का मतलब होता है प्रोविडेंट फंड जिसे हिंदी में कहें तो भविष्यनिधि। कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए जो पैसा जमा किया जाता है, उसे पीएफ यानी की प्रोविडेंट फंड कहते हैं। पीएफ कई तरह के होते हैं जैसे
>> ईपीएफ
एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड यह केवल प्रायवेट कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों के लिये होता है। ईपीएफ अकाउंट में एंप्लॉयी की अपनी बेसिक सैलरी और डीए की 12% राशि जमा होती है और ठीक उतना ही रकम यानी 12% कंपनी के तरफ से कर्मचारी के ईपीएफ अकाउंट में जमा होता है। हाल ही में इस नियम में संशोधन हुआ और नए नियम के मुताबिक कर्मचारी चाहें तो अपने हिस्से का 12% जमा ना करके 10% ये अकाउंट में जमा कर सकता है। ताकि उसकी बेसिक सैलरी में इजाफा हो सके।
>> जीपीएफ
जीपीएफ अकाउंट यानी जनरल प्रोविडेंट फंड यह सिर्फ उन्हीं लोगों का खुलता है, जो लोग सरकारी नौकरी करते हैं। इस फंड में जमा की गई राशि सरकारी कर्मचारी के रिटायरमेंट के वक्त मिल जाती है। जीपीएफ में कर्मचारी को अपने बेसिक सैलरी का 6% से 12% तक हर महीने जमा करना होता है। इसका मच्योरिटी पीरियड रिटायरमेंट तक होता है अगर कर्मचारी चाहे तो बीच में भी जरूरत पड़ने पर कुछ पैसा निकाल सकता है।
>> पीपीएफ
पीपीएफ अकायंट यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड यह भी एक जीपीएफ और ईपीएफ की तरह ही सेविंग स्कीम है। पीपीएफ के लिए किसी भी तरह का जॉब चाहे वो सरकारी हो या फिर प्राइवेट करने की कोई जरूरत नहीं है। इसे कोई भी इंसान पीपीएफ अकाउंट खुलवा सकता है। इसके लिए आप पोस्ट ऑफिस या फिर किसी भी बैंक में विजिट करके पीपीएफ अकाउंट आसानी से खुलवा सकते हैं।
पीपीएफ अकाउंट में 1 साल में कम से कम ₹500 और ज्यादा से ज्यादा 1,50,000 तक जमा करवाना होता है। इसकी मैच्युरिटी पीरियड 15 साल तक का होता है।
हालांकि अकाउंट खुलने के 5 साल बाद भी आप अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए या फिर शादी के लिए या फिर किसी भी मेडिकल इमर्जेन्सी इसके लिए सारा पैसा निकाल सकते हैं और उसके बाद आप अकाउंट को भी बंद कर सकते हैं। पीपीएफ अकाउंट में 7.1% सालाना ब्याज मिलता है हालांकि ब्याज दर में समय समय पर सरकार द्वारा बदलाव कर दी जाती है।
ईपीएफ कार्यालय के वार्षिक रिपोर्ट 2019-20 के अनुसार पीएफ के लगभग 24.77 करोड़ खाते है। 15 नवम्बर 1951 में कर्मचारी भविष्य निधि अध्याधेश की घोषणा के पश्चात कर्मचारी भविष्य निधि अस्तित्व में आया। आपको पता होगा की जो गवर्नमेंट सर्वेंट है यानी कि सरकारी कर्मचारी हैं, उन्हें कई सारे सोशल सिक्युरिटी के लाभ मिलते हैं।
ईपीएस यानी की इम्प्लॉइज प्रॉविडेंट फंड यह प्राइवेट सेक्टर में नौकरी कर रहे, कर्मचारियों के लिए, जो प्राइवेट जॉब करते हैं उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ये योजना लाई गई थी और ईपीएफ ऐक्ट का मकसद ही यही है की जो प्राइवेट सेक्टर में जॉब कर रहे प्राइवेट कर्मचारी हैं, उनके भविष्य को सुरक्षित बनाया जाए। ईपीएफ यानी की इंप्लाइज प्रोविडेंट फंड इसको जो मैनेज ईपीएफओ यानी की कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय करता है।
पीएफ खाता एवं यूएएन नम्बर क्या होता है
पीएफ खाता जब हम किसी कंपनी में कार्य करते है जब जनरेट किया जाता है। जो यूएएन से लिंक रहता है। यूएएन नम्बर भविष्य निधि कार्यालय द्वारा अपने पीएफ खाताधाराकों को दिया जाता है। यह 12 डिजिट का होता है। जिस कर्मचारी ने पीएफ की सुविधा ली हुई है, उसके पास यूएएन नम्बर होना जरूरी है।
जब आप एक नौकरी को छोड़कर किसी दूसरी नौकरी को करते है तब आपको नया पीएफ नम्बर एवं मेंबर आईडी प्राप्त होती है। लेकिन आपके यूएएन नम्बर में कोई बदलाव नहीं होता है। यूएएन आपका पूरी लाइफटाइम एक होता है।
पीएफ की कटौती
जिस किसी भी कंपनी या संस्था के अंतर्गत 20 या 20 से अधिक कर्मचारी होते हैं तो उससे ईपीएफ के अंतर्गत रजिस्टर्ड होना जरूरी है और उसके जीतने भी कर्मचारी हैं। जिनकी सैलरी 15,000 या 15,000 से कम है उन सभी कर्मचारियों का पीएफ जमा होता है।
PF कितने प्रतिशत जमा होता है
पीएफ में राशि का योगदान दो तरीके से होता है Employee का और Employer दोनों का यहाँ पर पैसा जमा होता है। पीएफ अकाउंट में जो कर्मचारी का पीएफ अकाउंट है, उसमें कर्मचारी के बेसिक सैलरी प्लस डीए का 12% उसका जमा होता है। उसके बाद जो Employer है, वो भी उतना ही यानी की 12% उतना ही जमा करता है।
मान लीजिए किसी कर्मचारी का 10,000 बेसिक सैलरी एवं डीए है। तो उसका 12% यानी की ₹1200 उसके पीएफ अकाउंट में जमा होगा। तो ₹1200 Employer भी जमा करेगा यानी की नियोक्ता भी जमा करेगा। इस तरीके से उसका पीएफ अकाउंट में ₹2400 जमा हुआ जबकि उसके सैलरी में से केवल ₹1200 की कटौती हुआ।
EDLI की राशि कर्मचारियों से नहीं ली जाती है। वह नियोक्ता यानी Employer से ली जाती है। इसके अतिरिक्त Employer से EPF Administration Charges भी लिया जाता है। इस तरह 1 प्रतिशत की राशि नियोक्ता से अतिरिक्त ली जाती है।
पीएफ अकाउंट के अंतर्गत निम्न तरह से कटौती होती है –
ईपीएफओ योजना | कर्मचारी का योगदान | नियोक्ता का योगदान |
EPF-Employee Provident Fund | 12% of Basic + DA | 3.67 of Basic + DA |
EPS-Employee Pension Scheme | NA | 8.33 % of Basic + DA |
EDLI-Employees’ Deposit Linked Insurance Scheme | NA | 0.5% (Maximum of Rs. 75) |
EPF Administration Charges | NA | 0.5% |